बरमूडा ट्राएंगल को दुनिया की सबसे रहस्यमयी जगह माना जाता है, क्योंकि इसके ऊपर से उड़ान भरने वाले कुछ जहाजों के अचानक गायब हो जाने की कहानियां दुनियाभर में प्रचलित हैं. वहीं, इटली में एक टनल में गई जेनेटी ट्रेन कभी अगले स्टेशन पर पहुंची ही नहीं.
इसमें बैठे 104 में से 102 यात्री भी गायब हो गए थे. जेनेटी ट्रेन के गायब होने की घटना के बारे में बच गए दो यात्रियों ने आंखोंदेखी जानकारी दी थी. ऐसी ही एक घटना भारत में भी घट चुकी है. हालांकि, भारतीय रेलवे की ये ट्रेन गायब होने के 43 साल बाद 3100 किमी दूर एक स्टेशन पर मिल गई थी. क्या आप जानते हैं कि इंडियन रेलवे की ये ट्रेन कहां से और कैसे गायब हुई थी? फिर इसे खोजा कैसे गया?
भारतीय रेलवे की इस ट्रेन के गायब होने की कहानी जितनी दिलचस्प है, उससे ज्यादा हड़कंप इसके मिलने पर मचा था. दरअसल, असम के पूर्वी जिले तिनसुकिया ने दिसंबर 2019 में पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ तब खींचा, जब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के सैटेलाइट्स एशिया-अफ्रीका क्षेत्र में फॉरेस्ट कवर का मैप तैयार कर रहे थे. नासा के उपग्रहों की तिनसुकिया से करीब 40 किमी दूर एक रेलवे स्टेशन के नजदीकी जंगलों की ली गई तस्वीरें सामने आने के बाद दुनियाभर की सुरक्षा एजेंसियों का ध्यान उस तरफ गया. दरअसल, नासा ने तस्वीरें साझा करते हुए कहा था कि इनमें तिनसुकिया के जंगलों में छुपाकर रखी गई इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल रैक यानी आईसीबीएम दिख रही है.
क्या भारत ने जंगल में छुपाई थी आईसीबीएम?
आईसीबीएम एक निर्देशित बैलिस्टिक मिसाइल है. ये 5,500 किमी तक सटीक निशाना लगा सकती है. आईसीबीएम के ज्यादातर आधुनिक मॉडल में एक मिसाइल कई तरह के वॉरहेड ले जाने में सक्षम होती है. लिहाजा, ये मिसाइल के साथ कई अलग लक्ष्यों को भेदने में सक्षम होती है. इस समय आईसीबीएम भारत के अलावा अमेरिका, उत्तर कोरिया, चीन, रूस और ईरान के पास है. तस्वीरें जारी होने के बाद ये सवाल उठा कि क्या वाकई भारत ने ऐसी कोई ट्रेन तिनसुकिया रेलवे स्टेशन के पास जंगलों में छिपाकर रखी है. अमेरिकी उपग्रह के तस्वीरें खींचने के बाद रूस और चीन हरकत में आ गए. रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस और चीन के जासूसों ने इस ट्रेन रैक को खोजना शुरू कर दिया.
नासा ने अंदेशा जताया था कि भारत ने तिनसुकिया के जंगलों में आईसीबीएम छुपाकर रखी है.
सक्रिय हुई भारतीय एजेंसियां, शुरू की तलाश
भारतीय एजेंसिया तिनसुकिया के ऊपर विदेशी उपग्रहों की असामान्य गतिविधियों को लेकर हैरान हो गए थे. इसके बाद रक्षा खुफिया एजेंसी, राष्ट्रीय जांच एजेंसी, रक्षा मंत्रालय, सुरक्षा पर कैबिनेट समिति भी इस खोज में शामिल हो गई. भारतीय एजेंसियों की जांच में पाया गया कि तस्वीरों में बताई गई जगह यानी तिनसुकिया रेलवे स्टेशन के नजदीक के जंगलों में एक ट्रेन रैक वास्तव में मौजूद है. रेलवे ने जब इस मामले की जांच आगे बढ़ाई तो पता चला कि ये ट्रेन रैक 1976 में महाराष्ट्र के अहमदनगर से असम के तिनसुकिया रेलवे स्टेशन लाई गई थी. इसके बाद इसे रेलवे स्टेशन से कुछ दूर मौजूद यार्ड में खड़ा कर दिया गया था. इसके बाद इंजन दूसरी रैक्स लेने के लिए चला गया.
तिनसुकिया पहुंच कैसे गायब हो गई ट्रेन रैक?
भारतीय रेलवे की ये ट्रेन जिस दिन अहमदनगर से तिनसुकिया पहुंची थी, उसी दिन पूरे इलाके में भीषण बारिश हो गई. चारों तरफ बाढ़ का पानी जमा हो गया था. यहां तक कि तिनसुकिया रेलवे स्टेशन कई फुट पानी में डूब गया था. रेलवे रिकॉर्ड के मुताबिक, ट्रेन 16 जून 1976 को सुबह 11:08 बजे वहां पहुंची थी. इंजन को रैक से अलग कर दिया गया था. फिर कुछ माल बोगियों को रखने में मदद करने के लिए स्टेशन पर वापस लाया गया था. उसी दिन दोपहर पूर्व 11:31 बजे भारी बारिश और बाढ़ आ गई. इसके बाद रेलवे कर्मचारी यातायात की निरंतरता बनाए रखने, ट्रैक की मरम्मत और बाढ़ की समस्या से निपटने में व्यस्त हो गए. लोग इस ट्रेन रैक को वापस लान भूल ही गए. फिर स्टेशन मास्टर और कुछ कर्मचारी का ट्रांसफर हो गया.
क्या किसी को नहीं आई गुम ट्रेन की याद?
नासा की तस्वीरों में मिली ट्रेन रैक मुख्य स्टेशन से करीब 2 किमी दूर सुनसान में खड़ी की गई थी. बाढ़ के कारण वहां तक जाने वाला रेलवे ट्रैक भी बह गया. ट्रैक के अवशेषों पर वनस्पतियों ने कब्जा कर लिया था. वहीं, भीषण बारिश और बाढ़ के बाद बने हालात को संभालने में रेलवे कर्मी रैक के बारे में भूल गए. समय के साथ धीरे-धीरे पूरे इलाके पर बड़े-बड़े झाड़ उग आए. समय के साथ ये भुलाई जा चुकी ट्रेन रैक झाड़ियों और खरपतवार के नीचे गायब हो गई. यही नहीं, इस इलाके में सांप, बिच्छू, पक्षियों और जंगली जानवरों ने अपना घर बना लिया. ट्रेन के पायलट डैनियल स्मिथ सितंबर 1976 में ऑस्ट्रेलिया चले गए. समय गुजरने के साथ ज्यादातर पुराने रेलवे कर्मी रिटायर हो गए. फिर किसी को ट्रेन की याद नहीं रही.
नासा की तस्वीरों में मिली ट्रेन रैक तिनसुकिया के मुख्य स्टेशन से करीब 2 किमी दूर सुनसान में खड़ी की गई थी.
उत्तरी फ्रंटियर रेलवे ने क्या दी दलील?
अहमदनगर से आई इस ट्रेन के बारे में तब तक कोई चर्चा नहीं हुई, जब तक अमेरिकी सैटेलाइट ने दिसंबर 2019 में इसकी तस्वीरें नहीं लीं. हालांकि, उत्तरी रेलवे ने 2020 में इस मामले के सामने आने पर कहा था कि उसे ऐसे किसी गायब रैक के मिलने की कोई जानकारी नहीं है. यही नहीं, नॉर्दन फ्रंटियर रेलवे ने तब सोशल मीडिया पर कहा था कि इस रैक को खोजने को लेकर रेलवे की किसी जांच के बारे में भी उन्हें कोई जानकारी नहीं है. हालांकि, 2020 में आई कुछ रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया था कि भारतीय एजेंसियों को जंगलों में रैक को छुपाना किसी अजीब व्यक्ति या किसी सनकी डॉक्टर की कार्रवाई लगी थी.