AAJ KI UTHAPATAK
नाम की उत्पत्ति

इटाकॉलुमाइट (Itacolumite) नाम लैटिन भाषा से बना है।
- ita (इटा) = संस्कृत “अतः” (इस प्रकार से, ऐसा)
- colum (कोलुम) = संस्कृत “चालन” / हिन्दी “चलनी” (बेंत से बनी मछली पकड़ने की टोकरी)
- -ite (आइट) = संस्कृत “तातिः” (संबंध वाचक प्रत्यय)
यानी, इसका नाम ही बताता है कि यह पत्थर “कोलुम” जैसी लचक और आकृति वाला है।

कोलुम से तुलना
कोलुम बेंत से बनाया जाता है और बेंत इतनी लचीली होती है कि उसे किसी भी आकार में मोड़ा जा सकता है।
इसी तरह, अगर किसी पत्थर की पतली पट्टी को टोकरी की तरह मोड़ा जा सके तो यह आश्चर्यजनक लगेगा। लेकिन इटाकॉलुमाइट ऐसा ही अद्भुत खनिज है।
इटाकॉलुमाइट की विशेषताएँ
- यह एक प्रकार का बलुआ पत्थर (Sandstone) है।
- बलुआ पत्थर दरअसल पानी के साथ बहकर आई रेत के दबाव से बनता है।
- इटाकॉलुमाइट की खासियत यह है कि इसके कणों के बीच सूक्ष्म वायु बुलबुले रह जाते हैं, जिससे यह सामान्य पत्थरों की तुलना में हल्का और लचीला हो जाता है।
- इसमें मौजूद अभ्रक (Mica) के कण इसे और भी चिकनाई देते हैं, जिससे इसके छोटे-छोटे कण आपस में खिसक सकते हैं।
“हिलना पत्थर” क्यों कहते हैं?
जब इस खनिज की पतली पट्टी बनाई जाती है, तो यह रबर की तरह हिलती और झुकती है। इसी कारण इसे आम भाषा में “हिलना पत्थर” कहा जाता है।

भारत में भंडार
भारत में भी यह खनिज पाया जाता है। हरियाणा के चरखी-दादरी जिले के कलियाणा गाँव के पास इसके भंडार मौजूद हैं।
लेकिन, यह खनिज बहुत दुर्लभ है। इसलिए यहाँ से इसे नुकसान पहुँचाना या बिना अनुमति निकाला जाना वर्जित है।

👉 संक्षेप में, इटाकॉलुमाइट वह पत्थर है जो पत्थर होकर भी रबर जैसा हिल सकता है।
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