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सेनगोल जैसी पांच फीट की छोटी सी चीज जो 14 अगस्त 1947 को सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक थी.

आज 75 साल बाद वह संगोल कांग्रेस के झूठ को तार-तार करने का माध्यम बन गया है। इसके साथ ही सेनगोल कांग्रेसियों की सांस्कृतिक हिंदुत्व प्रतीकों की उपेक्षा का भी जीता जागता सबूत बन गया है, जिसे अब नई संसद में रखा जाएगा.

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अब एक ऐसी विशाल इमारत की कल्पना कीजिए जो कम से कम अगले 1000 साल तक खड़ी रहेगी, जिसका निर्माण मोदी ने किया और उद्घाटन भी मोदी ने ही किया, वह इमारत अपने अंदर बैठे व्यक्ति को बार-बार मोदी के हर भाषण की याद दिलाएगी.

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1000 साल बाद जब कोई भारतीय इस इमारत के पास से गुजरेगा तो संभव है कि वह इसके इतिहास को कुरेद देगा।

जब इतिहास खोदा जाएगा तो “मोदी!! मोदी!!! मोदी!!!” की आवाज निकलेगी। इससे बाहर आ जाएगा.

दिक्कत तो कांग्रेसियों की इस आवाज से है!!

आतंकी याकूब कुरेशी की कब्र को देखकर लोग इस्लाम का झंडा ऊंचा रखने की कसम खाते हैं.

उद्घाटन के बाद संसद के साथ हमेशा मोदी का नाम जुड़ा रहेगा.

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**EDS: HANDOUT IMAGE** New Delhi: The new Sansad Bhavan (Parliament) under Central Vista Project. (PTI Photo) (PTI01_20_2023_RPT423B)

जिन्होंने इसी मनोविज्ञान का लाभ उठाने के लिए हर सड़क, अस्पताल और स्टेडियम का नाम अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर रखा, वे मोदी की संसद से नाराज़ हैं!!

संसद का सबसे बड़ा फायदा यह है कि सैकड़ों साल बाद जब बीजेपी नहीं होगी, मोदी नहीं होंगे तब ये मोदी द्वारा बनाया गया संसद बताएगा की पड़ोस मैं आटे के लिए कतारें थी, आटे के लिए खून खराबा हो रहा था ये संसद याद करवाएगा कि जब पाकिस्तान में ऐसे आटे के लिए लाइन लगती थी तो भारत के हिंदू पूर्वज आईपीएल देखते हुए शांति से पिज़्ज़ा खाते हुए मोदी को गाली देते थे.

और इसी अवधि में मोदी ने 1200 करोड़ की संसद बनाकर देश को सौंपी थी.

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