मंगल की उठापटक


मंगल ग्रह पृथ्वी से देखने पर एक तारे के समान चमकता हुआ दिखाई देता है। प्राचीन काल से ही विद्वान और जिज्ञासु प्रवृत्ति के मनुष्य इसका अवलोकन करते आ रहे हैं।

भारतीय पौराणिक ग्रंथों में मंगल को एक नक्षत्र कहा गया है, नक्षत्र यानि जिसका कभी नाश नहीं हो सकता। एक कथा के अनुसार वराह कल्प में हिरण्याक्ष नामक महाबलशाली दैत्य था जो भूदेवी ( पृथ्वी) को रसातल में लेकर चला गया था। भगवान विष्णु ने महावराह ( शूकर) का अवतार लेकर भूदेवी को उस दैत्य से मुक्त कराया और हिरण्याक्ष का वध किया।

भूदेवी ने भगवान वराह से विवाह करके उनके समान पराक्रमी और तेजस्वी पुत्र की कामना की। भगवान ने भूदेवी के साथ विवाह किया और कुछ समय साथ रहने के बाद वापस अपने लोक ( वैकुंठ) में चले गए और भूदेवी को छोड़ गए।

कुछ समय पश्चात पृथ्वी देवी ने परम तेजस्वी, वीर पुत्र मंगल को जन्म दिया। इसलिए मंगल को भूमिपुत्र भी कहा जाता है। जब मंगल को पता चला कि उनके पिता भगवान वराह ने माता को छोड़ दिया है तो वे बहुत क्रोधित हुए और आज तक उनका क्रोधी स्वभाव बना हुआ है।

ज्योतिष में भी मंगल को क्रूर , देवताओं का सेनापति, युद्धप्रिय और अविवाहित बताया गया है। शायद इसी वजह से मंगल विवाह में भी अड़चन पैदा करता है।

ईसा के जन्म से 1500 साल पहले ही मिस्र के लोग इस ग्रह से परिचित थे।।

ईसा से चार शताब्दी पूर्व चीन के खगोलविदों ने मंगल ग्रह के बारे में पता लगा लिया था‌।

पांचवीं शताब्दी में भारतीय खगोलीय ग्रंथ ” सूर्य सिद्धांत” ने मंगल ग्रह का व्यास बता दिया था जो नासा द्वारा बताए गए व्यास के लगभग बराबर ही है।

16 वीं शताब्दी में गैलीलियो ने पहली बार मंगल ग्रह को टेलिस्कोप के माध्यम से देखा था। वहां की गहरी और लंबी घाटियों को देखकर अनुमान लगाया गया कि वहां नहर बना है और इंसान रहते हैं। तभी से मंगल ग्रह पर जाने के लिए मनुष्य उत्सुक रहने लगा।

1964 में Mariner 4 पहली बार मंगल के पास से गुजरता है और उसकी तस्वीर लेता है।

1976 में वाइकिंग 1 पहली बार मंगल की सतह पर उतरा।

वर्तमान में मंगल ग्रह ( दूसरी दुनिया) पर अमेरिका के दो रोवर और चीन का एक रोवर जांच पड़ताल कर रहे हैं।

भूतकाल में मंगल पर जीवन था या वर्तमान में वहां जीवन है ऐसी कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।

मंगल ग्रह के बारे में निम्न जानकारी मिली है –

अरबों साल पहले मंगल ग्रह हमारी पृथ्वी की तरह गर्म और नम ( wet)था। कुछ चट्टान और पत्थरों की आकृति से पता चलता है कि ये तेज पानी के बहाव से बने हैं।

कुछ लोगों का कहना है कि जब पृथ्वी अपने शैशवास्था में गर्म दहकता हुआ आग का गोला था तब मंगल ग्रह जीवन के अनुकूल था। मंगल ग्रह पर नदियां, झील और समुद्र भी थे और यह आज के पृथ्वी के तरह हरा भरा था।

लेकिन 4 अरब साल पहले मंगल का कोर ठंडा होने लगा जिससे यह अपने चुंबकीय क्षेत्र को बनाए रखने में फेल होने लगा। क्रूर सौर पवनों ने इस ग्रह पर से आक्सीजन को उड़ा दिया और पानी वाष्प बनकर उड़ गया। धीरे धीरे जीवन समाप्त हो गया।

या

कोई बहुत बड़ा उल्कापिंड मंगल ग्रह से टकराया और मंगल ग्रह उजाड़ , शुष्क, ठंडे रेगिस्तान में बदल गया।

आज मंगल पर क्या है –

30 साल से रोवर और यान मंगल ग्रह पर खोज कर रहे हैं लेकिन एक मामूली सा बैक्टीरिया तक नहीं मिला ना ही ऐसा कुछ मिला जिससे साबित हो कि कभी वहां जीवन था।

आज मंगल पर धूल के दानव ( Dust Devils) विचरण कर रहे हैं ये धूल के स्तंभ 8 किलोमीटर तक ऊंचे और 300 मीटर तक चौड़े हो सकते हैं। ये बवंडर पूरे ग्रह को ढंक सकते हैं जिससे दिन में भी अंधेरा छा जाता है।

( मंगल ग्रह पर तूफान)

मंगल पर एक दिन 24 घंटे 39 मिनट का होता है और रात में तापमान -50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है और अधिकतम तापमान 10 से 20 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है। ( DW News के अनुसार)

मंगल ग्रह पर सिर्फ रोबोट घूम रहे हैं और कुछ भी नहीं है। अब वहां की मिट्टी यहां लाई जाएगी और उसका परीक्षण करके पता करेंगे कि उसमें कुछ है या नहीं।

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