नीरज की कहानी शुरू होती है पानीपत के एक छोटे से गाँव से. यहाँ लड़कपन में नीरज भारी भरकम होते थे- क़रीब 80 किलो वज़न वाले. कुर्ता पायजामा पहने नीरज को सब सरपंच कहते थे.फ़िटनेस ठीक करने के हिसाब से वो पानीपात में स्टेडियम जाने लगे और दूसरों के कहने पर जैवलिन में हाथ आज़माया. और वहीं से सफ़र शुरू हुआ…

बेहतर सुविधाओं की तलाश में नीरज पंचकुला शिफ्ट कर गए और पहली बार उनका सामना राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों से हुआ. उन्हें बेहतर सुविधाएं मिलने लगीं…जब राष्ट्रीय स्तर पर खेलने लगे तो ख़राब क्वॉलिटी वाली जैवलिन की बजाय हाथ में बढ़िया जैलविन आ गई. धीरे-धीरे नीरज के खेल में तब्दीली आ रही थी…खेल के लिए नॉनवेज खाना शुरू किया..रियो ओलंपिक में खेलने से नीरज चूक गए थे क्योंकि उन्होंने क्वॉलिफ़िकेशन मार्क वाला थ्रो जब लगाया तब तक क्वॉलाफ़ाई करने की आख़िरी तारीख़ निकल चुकी थी…

ये नीरज के लिए दिल टूटने वाला अनुभव था. लेकिन टोक्यो में नीरज ने ऐसा नहीं होने दिया. कभी शाकाहारी रहे नीरज अब अपने खेल की वजह से नॉनवेज भी खाने लगे हैं…खाने की बात चली है तो खिलाड़ी को डायट के हिसाब से चलना ही पड़ता है पर गोलगप्पों को वे अपना पंसदीदा जंक फूड मानते हैं…उनके लंबे बालों की वजह से सोशल मीडिया पर लोग उन्हें मोगली के नाम से भी जानते हैं. शायद लंबे बालों और फुर्तीलेपन की वजह से…जैवलिन तो नीरज का पैशन है पर बाइक चलाने का भी नीरज को बहुत शौक है और साथ ही हरियाणवी रागिनियों का भी. पंजाबी गाने और बब्बू मान उनकी प्लेलिस्ट में रहते हैं…

कड़ी मेहनत, एकाग्रता और समर्पण का अद्भुत प्रदर्शन.. Golden Boy ने फिर रचा इतिहास..🇮🇳

बुडापेस्ट में हुई #WorldAthleticsChampionships2023 में नीरज चोपड़ा ने 88.17 मीटर के बड़े थ्रो के साथ विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने। आपको इस शानदार जीत व उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए हार्दिक बधाई एवं उज्ज्वल भविष्य की शुभकामना

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