चंद्रयान थ्री देश में खुशी की लहर जिंस पल का इंतजार था। वो अब पल नजदीक आता जा रहा है। 16 अगस्त की तारीख और सुबह करीब 8:38 का समय। ये वो पल है। ये वो समय है जब चंद्रयान थ्री का इंजिन 1 मिनट के लिए ऑन किया गया था जिसके बाद उसकी आर्बिट ही बदल गई। अब एक और बड़ा अपडेट इसरो की तरफ से दिया जा रहा है। जिसने सभी की सांसें रोक दीं हैं और भगवान से भी यही दुआ है की सब कुछ ठीक होगी। चंद्रयान चंद्रमा की पांचवीं कक्षा में पहुँच गया है। अब चंद्रयान का कोई अर्बिट नहीं बदला जाएगा। 17 अगस्त की दोपहर करीब 1:00 बजे का समय बेहद खास रहने वाला है क्योंकि इस समय चंद्रयान थ्री का इंटीग्रेटेड मॉड्यूल दो हिस्सों में बंटेगा। इसका एक हिस्सा है प्रपल्शन मॉड्यूल।

और दूसरा हिस्सा है लैंडर मॉड्यूल। ऑपरेशन मेडल के अलग होने के बाद इसरो के लिए अग्नि परीक्षा भी शुरू होno जाएगी। प्रपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अलग होने के बाद मैं 100 किलोमीटर ऑर्बिट में थोड़ी दूरी के साथ में घूमना शुरू कर देंगे ताकि एक दूसरे से टकराए नहीं। इसके बाद 18 और 20 अगस्त को लैंडर की डि ऑर्बिटिंग कराई जाएगी।

18 अगस्त की दोपहर करीब 4:00 बजे 1 मिनट के लिए लैंडर को ऑन किया जाएगा ताकि उसे सही दिशा में लाकर गति कम की जा सके। फिर 20 अगस्त की देर रात 1:45 बजे के आस पास भी यही काम फिर से किया जाएगा। अभी चंद्रयान थ्री को 100 किलोमीटर वाली गोलाकार कक्षा में लाना बाकी है। अब तक चंद्रयान थ्री से संबंधित सभी चरण पूरे हो चूके हैं और पांचवां चरण है प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल को अलग अलग करना होगा ।

फिर 20 तारीख की शाम 5:45 बजे लैंडिंग कराई जा सकती है। ये आठवां चरण होगा जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण रहने वाला है। लैंडर के समय काफी धूल उड़ने की आशंका है इसलिए धूल के छटने तक लैंडर से रोवर बाहर नहीं आएगा। इसके बाद नौवें चरण में काकपेट यानी उससे बाहर निकलेगा। बाहर निकलने के बाद रोवर प्रज्ञान लगातार लैंडर के आसपास के इलाके की जांच करेगा। जांच के बाद वह लगातार अपना डेटा विक्रम लैंडर को भेजेगा।

अपनी जानकारी को चाँद की सतह से 100 किलोमीटर उचाई पर घूम रहे प्रपल्शन मॉड्यूल को देगा। यहाँ से डेटा बेंगलुरु स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क को मिलेगा। मजेदार बात यह है कि चंद्रयान थ्री जब चाँद की सतह पर चलेगा तब उसके पहियों में बनाए गए खास खांचों से जमीन पर राष्ट्रीय चिन्ह और इसरो का लोगो बनता रहेगा। चंद्रयान थ्री से चन्द्रमा का निर्माण और विकास जिसतरह से हुआ है उसे समझने से पृथ्वी सहित कोरमंडल के इतिहास को समझने में मदद मिले गी चन्द्रमा सबसे निकटतम खगोलीय पिंड है। इस पर अंतरिक्ष खोज का प्रयास लगातार किया जाता रहा है। भविष्य के लिए चंद्रमा पर अंतरिक्ष अड्डे स्थापित किए जा सकते हैं। चंद्रमा, पृथ्वी और ब्राह्मण को बेहतर समझ के लिए खोज बहुत ही जरूरी है। अगर ये परीक्षण सफल हो जाता है तो भारत को दुनिया के सामने अपनी क्षमता दिखाने का मंच भी मिल जाएगा।

भारत के चंद्रयान तीन पर पूरी दुनिया की निगाहें टिक्की हुई है। भारत पहला देश होगा जो चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा। इसी बीच चंद्रयान तीन को लेकर एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। बताया जा रहा है कि भारत के चंद्रयान तीन चंद्रमा पर अपना सफर सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। अब यान चाँद की सतह को छूने के बिल्कुल करीब पहुँच चुका है। इसरो ने बुधवार को घोषणा करते हुए कहा है कि अंतरिक्ष यान पांचवीं और आखिरी आर्बिट बदलने की प्रक्रिया से गुजरा है

श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया चंद्रयान तीन अब चंद्रमा की सतह से अब सिर्फ 163 किलोमीटर दूर है। अंतरिक्ष यान 5 अगस्त को ऑर्बिट में प्रवेश करने के बाद से धीरे धीरे अपनी ऑर्बिट को कम कर रहा है और कई गतिविधियों के माध्यम से चंद्रउतरने के लिए खुद को तैयार कर रहा है।

चन्द्रयान तीन ने चाँद के आखिरी ऑर्बिट में एंटर 16 अगस्त को सुबह पर 8:30 पर किया। इस दौरान इसकी पूरी निगरानी बेंगलुरु में इसरो, टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क से की गई। इसरो ने मामले में जानकारी देते हुए कहा कि आज की सफलता छोटी अवधि के लिए थीं, लेकिन बेहद महत्वपूर्ण थी। इस अंतिम यात्रा की सफलता के बाद चंद्रयान तीन को 153 किलोमीटर गुणा 163 किलोमीटर चाँद की ऑर्बिट में स्थापित कर दिया है।

आपको बता दें कि चंद्रयान में लैंडर रोवर और प्रोपल्शन मॉडल हैं। लैंडर और रोवर चाँद के साउथ पोल पर उतरेंगे और 14 दिन तक प्रयोग करेंगे। प्रोपोर्शन मॉडल चंद्रमा की ऑर्बिट में रहकर धरती से आने वाली रेडिएशनस का अध्ययन करेगा। इस मिशन के जरिए चाँद पर पानी की खोज भी करेगा। ये भी पता लगाएगा कि चाँद की सतह पर भूकंप कैसे आते हैं? वहीं लैन्डिंग चरण में 23 अगस्त को शाम करीब 5:30 बजे यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में एक सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेगा, जो यान की सफलता का अंतिम चरण होगा। इसरो के मुताबिक विक्रम नाम के लैंडर के श्याम 5:47 पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है। सफल होने पर प्रज्ञान नाम का रोवर विक्रम से अलग निकलेगा। इसके बाद वह चाँद के अलग अलग हिस्सों की तस्वीर पृथ्वी तक भेजेगा। पूरी खबर को लेकर आपकी क्या राय हैं? आप हमें कॉमेन्ट करके जरूर बताइए, विडीओ अगर पसंद आया हो तो वीडियो को लाइक और शेयर करना ना भूलें।

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