वैसे तो हम सब ये जानते है कि अमिताभ बच्चन और राजीव गांधी बचपन से दोस्त रहे है। इसी दोस्ती की वजह से अमिताभ बच्चन ने राजनीति में कदम रखा था। एक तरफ जहां राजीव गांधी अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद पायलेट बन गए थे, तो वहीँ दूसरी तरफ अमिताभ बच्चन फिल्मों में काम की तलाश कर रहे थे। ऐसे में साल १९६९ में फिल्म ‘सात हिन्दुस्तानी’ से अमिताभ बच्चन का करियर शुरू तो हो गया था, मगर फिर भी फिल्म इंडस्ट्री में स्ट्रगल कर रहे थे।

अमिताभ बच्चन को जब ये खबर लगी कि मशहूर अभिनेता मेहमूद अपनी फिल्म ‘बॉम्बे टू गोवा’ के लिए हीरो की तलाश कर रहे है। उस समय राजीव गांधी भी मुंबई में ही मौजूद थे। ऐसे में अमिताभ बच्चन और राजीव गांधी दोनों निर्माता-निर्देशक और अभिनेता मेहमूद के पास पहुंच गए।

हनीफ ज़वेरी की किताब ‘द मैन ऑफ़ मेनी मूड्स’ के मुताबिक अभिनेता मेहमूद साहब को उस समय एक किस्म का ड्रग या टेबलेट लिया करते थे, जिसमें नशा सा होता था। जब राजीव गांधी और अमिताभ, मेहमूद से मिलने पहुंचे तो वहां मेहमूद के भाई अनवर भी मौजूद थे, जो इन दोनों के भी दोस्त थे।

अनवर ने इन दोनों का परिचय मेहमूद से करवाया, मगर मेहमूद साहब को समझ में नहीं आया कि क्या कहा गया। मेहमूद ने तुरंत दराज से ५ हजार रुपये निकाले और अपने छोटे भाई अनवर को दिए और कहा कि ‘ये पैसे अमिताभ के दोस्त को दे दो और बोलो परसों से काम पर आ जाए।’

भाई अनवर ने परेशान होते हुए पुछा कि ‘आप पैसे किस लिए दे रहे है?’ तो मेहमूद बोले कि ‘अरे, ये लड़का तो अमिताभ से ज्यादा गोरा और स्मार्ट है, ये आगे चलकर इंटरनेशनल स्टार बनेगा, इसको अभी पैसे दो और साइन कर लो, हमारी अगली फिल्म ये ही करेगा।’

भाई अनवर को ये समझ आ गया कि नशे की धुन में मेहमूद साहब, राजीव गांधी को पहचान नहीं पाए। तो उन्होंने मेहमूद को बताया कि वो कोई आम आदमी नहीं बल्कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी है। ये मालूम पड़ते ही मेहमूद का सारा नशा उतर गया।

मेहमूद के होश में आने के बाद, इनके बीच कुछ हंसी-मजाक हुआ और फिर ये फिल्म अमिताभ बच्चन की झोली में आ गयी। जिसके बाद अमिताभ बच्चन का करियर पटरी पर आ गया। खैर, अभिनेता बनकर तो नहीं, मगर नेता बनकर राजीव गांधी पूरी दुनिया में मशहूर जरूर हुए।

अगर उस समय अमिताभ बच्चन की जगह ये फिल्म राजीव गांधी ने कर ली होती तो आपको क्या लगता है आज बॉलीवुड इंडस्ट्री कहां होती?

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