aaj ki uthapatak
ये है वो सच्ची घटना जिसमे असल जिंदगी में एक मरे हुए इंशान को जिंदा किया गया था, यानी Frankenstein Experiment। अगर आपको डार्क एक्सपेरिमेट्स से डर लगता है तो आपको बता दे की ये एक्सपेरिम्ट मानव इतिहास के डार्केस्ट एक्सपेरिमेंट्स में से एक था।
5 दिसंबर 1802 लंदन, शाम के लगभग 4:30 बजे George Foster नाम का एक आदमी अपनी बीवी और बेटी के साथ पैडिंगटन केनल के बराबर में बने हुए रास्ते पर जा रहा था, जिसे जाते हुए एक नौ साल की एक बच्ची ने देखा। उसी शाम को कुछ घंटे के बाद जॉर्ज फोस्टर अपने दोस्त के साथ पब में बैठ कर ड्रिंक करते हुए देखा गया, लेकिन अब इसका परिवार उसके साथ नहीं था, जिसने कुछ भी अजीब नही है, हो सकता है उसका परिवार घर पर हो या कही पर गया हो।
अगली सुबह जॉर्ज एंटकिन नाम का एक व्यक्ति अपनी नाव को लेकर पेडिंगटन नदी में जा रहा था, तभी उसे किसी चीज का उसके नाव से टकराने का एहसास होता है, जिसे ध्यान से देखने पर एंटकीन घबराते हुए नाव छोड़कर सीधा पुलिस के पास चला जाता है। पुलिस की टीम जब छानबीन करती है तो पता चलता है कि पानी में और कोई नही बल्कि जॉर्ज फोस्टर की बेटी का शरीर तैर रहा था।
इसके बाद, पूरी नदी की अच्छे से छानबीन करने के बाद जॉर्ज फोस्टर की बीवी की लाश भी पानी से निकाली जाती है। जॉर्ज फोस्टर को अपनी बीवी और बेटी के कत्ल के जुर्म में तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाता है। मिस्टर पास नाम का एक व्यक्ति जो काफी प्रभावसाली व्यक्ति था, जॉर्ज फोस्टर के केस को फास्टैग कोर्ट में चलाने की सिफ़ारिश करता है। अब यहां पर मिस्टर पास को याद रखे क्योंकि इस आदमी का रोल अभी ख़त्म नही हुआ है।
जॉर्ज फोस्टर अपनी बीवी और बेटी के कत्ल की बात स्वीकार कर लेता है और उसे फांसी की सजा सुनाई जाती है।
दिसम्बर की एक सुबह को फोस्टर को फांसी दे दी जाती है, उस समय इंग्लैंड में फांसी देने के बाद शरीर को टुकड़ों में कांट कर दफ्न किया जाता था, वहा पर ऐसी मान्यता थी की ऐसा करने पर बुरी आत्मा शरीर को वापस नहीं जोड़ पाएंगी। पर जॉर्ज फोस्टर के साथ ऐसा नहीं किया गया, बल्कि जॉर्ज फोस्टर के शरीर को एक्सपेरिमेंट्स करने के लिए Giovanni Aldini को शौप दीया गया।
Giovanni Aldini जो की Luigi Galvanni के भतीजे थे, जो मरे हुए लोगो और जानवरों पर एक्सपेरिमेंट्स करके उन्हे जिंदा करने की थ्योरी देने वाले पहले इंसान थे। अब यहां पर Luigi Galvanni के बारेमे भी पता होना चाहिए, ये वही वैज्ञानिक थे जिन्होंने बिजली की मदद से दुनिया में पहली बार एक मरे हुए मेडक के पैरो को हिला कर, ये साबित कर दिया की जिंदा शरीर की मांशपेसियो का जवाब शरीर के द्वारा पैदा की जाने वाली बिजली के कारण उत्पन्न होता है, जिसे नाम दिया गया Animal Electricity का यानी Galvanism।
जनवरी की एक ठंडी रात को बड़े बड़े वैज्ञानिक, रिसर्चर्स, जर्नलिस्ट और डॉक्टर्स अल्दीनी के इस एक्सपेरिमेंट को देखने के लिए जमा हुए। अल्दिनी ने एक पावरफुल बैटरी से कनेक्शन करके दो इलेक्ट्रोड को जॉर्ज फोस्टर के चहरे पर लगाया और ऐसा करने के कुछ सेकंड्स के बाद ही जॉर्ज फोस्टर का जबड़ा खुल गया। चारो तरफ सन्नाटा छा गया, फिर अचानक से जॉर्ज फोस्टर की बाई आंख खुल जाती है, ये देख कर वहा बैठे हुए लोग जोर जोर से चिल्लाकर इधर उधर भागने लगते है।
बहुत ज्यादा डरे हुए लोग इस एक्सपेरिमेट को बर्दास्त नही कर पाते और इसे आधा अधूरा छोड़कर अपने घर की तरफ निकल जाते है। इसके बाद अल्दीनी एक इलेक्ट्रोड जॉर्ज फोस्टर के सीने में घुसाते है और तुरत ही फोस्टर अपनी मुट्ठी बंध करके हवा में जोर से मुक्का मारता है, वो अपने हाथ पैरो को जोर जोर से पटकने लगता। ये नजारा इतना भयानक था की जिसे देखकर मिस्टर पास जिन्होंने जॉर्ज फोस्टर के केस को फास्ट्रैक कोर्ट में चलाने की सिफ़ारिश की थी वो इतना ज्यादा घबरा जाते की दिल का दौरा पड़ने से उनकी वही पर मौत ही जाती हैं।
इससे ज्यादा जानकारी इंटरनेट पर मौजुद नही है, अब यहां पर ये भी जानना जरूरी है की आखिर अल्दीनी को ऐसे अजीबो गरीब एक्सपेरिमेट करने का खयाल कैसे आया। सबसे पहली चीज, अल्दीनी एक Galvanist थे। Galvanist उन लोगों को कहा जाता है जो ये मानते है की इंशानी शरीर को जिंदा रखने का काम शरीर के द्वारा बनाई गई बिजली के द्वारा किया जाता है। हा, ये सच है हमारा शरीर बिजली बनाता है चाहे उसकी मात्रा थोडी ही क्यों न हो।
अल्दीनी अपने चाचा यानी लुईगी गलवानी के साथ Animal Electricity पर एक्सपेरिमेंट्स करते थे, Galvanni मानव इतिहास में वो पहले इंसान थे जिन्होंने यू साबित किया को मानव की मांसपेशियां बिजली की तरंगों के कारण व्यवहार कर पाती हैं,जो बिल्कुल सही बात है। लुइगी गलवानी ने बिजली का जटका दे कर एक मरे हुए मेंढक के पैर को हिला कर ये बात साबित कर दी थीं।लुइगी गलवानी ये भी मानते थे की इंशानो को जिंदा रखने का काम यही एनिमल इलेक्ट्रिसिटी करती है और इससे जुड़ी हुई पूरी जानकारी उनके द्वारा पब्लिश किए गए रिसर्च पेपर में बड़े बड़े शब्दो में लिखी है जो पब्लिक डोमेन में सभी के पढ़ने के लिए उपलब्ध भी है।
हमारा दिमाग हमारे शरीर से संपर्क इन्ही इलेक्ट्रिकल नर्व्स सिग्नल की वजह से बना पाता है, लेकिन जियोवन्नी अल्दीनी ये मानते थे की ये एनिमल इलेक्ट्रिसिटी मरे हुए इंशना या जानवर को जिंदा कर सकती है और इसी चीज को साबित करने के लिए उन्होंने ये एक्सपेरिमेंट किया था। अब बिजली की बात हो ओर Alessandro Volta का जिक्र ना हो ऐसा हो ही नही सकता। ये इलेक्ट्रिसिटी की खबर उड़ती उड़ती वोल्टा के कानो तक भी पहुंच गई, इसको सुनने के बाद वोल्टा ने कहा की इलेक्ट्रिसिटी दो अलग अलग मेटल से निकलती है या जिस मेड़क के पैरो को गलवानी ने हिला कर दिखाया था की वो इलेक्ट्रिसिटी मेंढक के शरीर के अंदर से नही बल्कि मेटल की दो अलग अलग प्लेट की वजह से बनी थी।
अब छिड़ चुकी थी जंग Voltist और Galvanist लोगो के बीच में, हालाकि दोनो को मानने वाले कुछ हद तक सही थे। Galvanist सही थे की हमारा शरीर बिजली के तरंगों की मदद से मांसपेशियों को न्यूरल सिग्नल ट्रांसमिट करके कंट्रोल करता है, लेकिन वो ये बात गलत बोल रहे थे की मरा हुआ शरीर इलेक्ट्रिकल सिग्नल बना सकता है और Voltist सही थे की दो अलग अलग मेटल प्लेट की मदद से बिजली को बनाया जा सकता है लेकिन, वो ये मानने को तैयार नहीं थे की इलेक्ट्रिकल सिग्नल मांसपेशियों को कंट्रोल कर सकता है।
सन 1800 में Alessandro Volta ने एक वॉल्टिक सेल का निर्माण किया जिससे उस समय वोल्टिक पाइल का नाम दिया गया और इस तरह से जन्म हुआ बैटरी का। अब अल्दीनी ने तुरंत ही वोल्टा के द्वारा बनाए गई बैटरी का इस्तमाल करके अपने एक्सपेरिमेट्स को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया, उन्होने एक मरे हुए इंसान के दिमाग में इलेक्ट्रोड डाल कर जब एक्सपेरिमेट किया तो पाया की दिमाग दाया हिस्सा शरीर के बाए हिस्से को कंट्रोल करता है और दिमाग का बाया हिस्सा शरीर के दाएं हिस्से को कंट्रोल करता है।
हा, ये चीज इसी एक्सपेरिमेट्स से साबित हुई थी जो अल्दीनी ने किया था। इसके बाद अल्दीनी ने मेंटल डिप्रेशन से पीड़ित लोगो को इलेक्ट्रिक शॉक देकर ठीक करने में कामयाबी हासिल करली, इसी लिए अपने बहुत सारी फिल्मों में देखा होगा की दिमाग से जुड़ी हुई बीमारियों को ठीक करने के लिए इलेक्ट्रिक शॉक थेरापी का इस्तमाल किया जाता है यानी इस इलाज का श्रेय भी अल्दीनी को ही जाता है और अल्दीनी इस बात को लेकर भी सही थे की इलेक्ट्रिसिटी की मदद से बंद हो चुके दिल को वापस से धड़कने के लिए मजबूर किया जा सकता है, इसी लिए दिल का दौरा पड़ने पर या बेहोश होने की स्थिति में होश में लाने के लिए इलेक्ट्रिक शॉक दिया जाता है।
ये अल्दीनी की खोज का नतीजा ही था जिसने पेसमैकर की नीव रखी। पेसमैकर, वो मशीन जो हमारे दिल के धड़कने के पैटर्न को सही से बनाकर रखता ही है, बहुत से लोगो का दिल सही रकफ्तार पर नही धड़कता जिनमे से कुछ लोग तो ऐसे भी है जो अगर नींद में हो तो उनका दिल धड़कना बंद भी कर सकता है और अगर ऐसा हुआ तो उन लोगो की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो जाएगी।
तो पेसमैकर नाम का ये मशीन हमारे दिल को सही समय पर बिजली का हल्का सा झटका दे कर उसके धड़कने की रफ्तार को सही करता है और इस खोज की नीव भी अल्दीनी के एक्सपेरिमेंट्स में ही रखी गई थी। अल्दीनी के द्धारा किए गए जॉर्ज फोस्टर पर एक्सपेरिमेंट्स के तेरा साल के बाद Mary Shelley नाम की एक अठारह साल की लड़की ने इसी एक्सपेरिमेंट्स से प्रेरणा लेकर Frankenstein नाम का एक साइंस फ्रिक्शन नॉवेल लिख दिया जो दुनिया का पहला साइंस फ्रिक्शन नॉवेल था।
अल्दीनी का असली इरादा कभी भी मरे हुए लोगो को जिंदा करना नहीं था बल्कि वो तो बायोलॉजी में इलेक्ट्रिसिटी के इस्तमाल पर रिसर्च कर रहे थे।
विज्ञान का सही इस्तमाल हमारे हमारे हाथ में है चाहे हम विज्ञान से निर्माण का रास्ता चुने या विनाश का रास्ता चुने किसी भी सूरत में विज्ञान कभी निराश नहीं करता।